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अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र  
 
 
 
अल्पसंख्यक प्रमाण पत्रा कैसे बनवायें
 
शपथ पत्र
 
अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र
 
मध्य प्रदेश राजपत्र
 
राजस्थान में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आवेदन पत्र
 
अल्प संख्यक प्रमाण-पत्र बनवाने हेतु वांछित दस्तावेज
 
जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त होने से लाभ
-प्रमोद जैन, दिल्ली, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष जैन शिक्षा समृद्धि, राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष दि. जैन महासमिति
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जैन समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक दर्जा दिये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। आजादी के बाद से विचारधाीन इस मांग के पूरी हो जाने का जैन समाज के धर्मगुरुओं, समाज के प्रतिनिधियों तथा सभी वर्गों ने स्वागत किया है तथा आशा व्यक्क्त की है कि इससे समाज न केवल अपने शैक्षणिक अधिकारों का प्रभावी इस्तेमाल कर सकेगा बल्कि उनकी विशिष्ट धार्मिक पहचान, सांस्कृतिक धार्मिक धरोहर को भी संवैधानिक संरक्षण मिल सकेगा।
दिल्ली, राजस्थान सहित 14 राज्यों में उन्हें पहले ही राज्य स्तर पर दर्जा मिल चुका है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर यह दर्जा दिये जाने की मांग लंबे समय से विचारधीन थी।
  केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन के नेतृत्व में एक जैन शिष्टमंडल ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल- गांधी से मिलकर इस आशय की मांग की जिसके बाद श्री गांधी ने राष्ट्र निर्माण में जैन समुदाय के योगदान की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से इस समुदाय को शीघ्र राष्ट्रीय स्तर पर यह दर्जा दिये जाने को
लेकर मुलाकात की थी। जैन मुनि आचार्य विद्यासागर, आचार्य विद्यानंद, आर्यिका ज्ञानमती माताजी, आचार्य लोकेश मुनि सहित अनेक जैन साधु साध्वियों ने इस कदम का स्वागत करते हुए आशीर्वाद दिया कि जैन समाज इस मिले लाभ को और अधिक सकारात्मक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर सकेगा तथा इससे समाज में सामाजिक सौहार्द और बढ़ेगा। गौरतलब है कि देश में जैन समुदाय की आबादी लगभग 50 लाख है, केवल लक्षदीव को छोड़कर शेष सभी 35 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में जैन आबादी है। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल के फैसले के बाद अब अल्पसंख्यक आयोग समुदाय को इस सूची में लाये जाने को लेकर अधिसूचित कर देगा। जानकारों के अनुसार केन्द्रीय कल्याण मंत्रालय ने गत 23 अक्टूबर 1993 को एक आदेश के तहत मुस्लिम, बौद्ध, पारसी, सिख तथा ईसाई को तो अल्पसंख्यक
समुदाय का दर्जा दे दिया गया था लेकिन विशिष्ट धार्मिक पहचान के मापदण्ड को पूरा करने के वाबजूद जैन समुदाय को यह दर्जा नहीं मिल पाया था।
  एक शिष्टमंडल ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान से भेंट करके इस फैंसले के लिए आभार जाताया, केन्द्रिय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन ने भी उम्मीद जतायी कि इस फैंसले से जैन समुदाय अपनी विशिष्ट पहचान के साथ राष्ट्र निर्माण में और अधिक योगदान दे सकेगा। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का समय-समय पर इस मांग पर सकारात्मक रुख, अधिकतम केन्द्रीय नेतृत्व तथा न्यायपालिका के भी इसके पक्ष में अनेक फैसले आने के बावजूद अहिंसा को मूलमंत्र मानने वाले इस समुदाय की यह मांग लंबे समय से विचाराधीन होने की वजह से समाज में असंतोष था। आचार्य विद्यासागर के अनुसार समुदाय का इस मांग के समर्थन में स्पष्ट तौर पर कहना था कि इस मांग के जरिये वह अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों या अन्य जैसे आरक्षण की मांग नहीं कर रहे हैं, इसे बहुसंख्यक समाज के अधिकारों पर अतिक्रमण कतई नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि इसे राष्ट्रीय सौहार्द मजबूत करने के कदम के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि इससे जैन समाज में सुरक्षा की भावना बढ़ेगी और विश्वास तथा सुरक्षा की भावना से भरा समुदाय ही एक मजबूत राष्ट्र की नींव होता है। आचार्य विद्यानंद जी ने इस फैंसले का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की कि इससे समाज में समरसता बढ़ेगी तथा जैन समाज में एक नये विश्वास का संचार होगा। आर्यिका ज्ञानमती माताजी ने कहा विशेष तौर पर इस फंैसले से समुदाय के वंचित वर्गों को भी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
  पिछले माह राष्ट्रपति डा. प्रणव मुखर्जी ने भी एक जैन शिष्टमंडल से मुलाकात के दौरान इस मांग को समर्थन दिया।
इसी बीच इस मुहिम को कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से समर्थन मिला तथा सत्तारुढ़ संप्रग ने अंतत जैन समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक दर्जा देने का फैसला कर लिया।
 
जैन समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त होने से लाभ- केन्द्रीय सरकार द्वारा जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित किये जाने के बाद हमें कुछ प्रमुख संवैधानिक सुरक्षा कवच प्राप्त होंगे, जिससे अहिंसा के अनुयायी इस समुदाय को अपने धार्मिक अस्तित्व एवं धर्मस्थलों को सम्मानपूर्वक एवं श्रद्धापूर्वक बनाए रखने की संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त होगी।
1. जैन समुदाय के अल्पसंख्यक घोषित होने से संविधा के अनुच्छेद 25 से 30 के अनुसार जैन समुदाय धर्म, भाषा, संस्कृति की रक्षा संविधान में उपबंधों के अन्तर्गत हो सकेगी।
2. जैन धर्मावलंबियों के धार्मिक स्थल, संस्थाओं, मंदिरों, तीर्थक्षेत्रों एवं ट्रस्टों का सरकारीकरण या अधिग्रहण आदि नहीं किया जा सकेगा अपितु धार्मिक स्थलों का समुचित विकास एवं सुरक्षा के व्यापक प्रबंध शासन द्वारा भी किए जायेंगे।
3. जैन धर्मावलंबी अपनी प्राचीन संस्कृति, पुरातत्व एवं धर्मायतनों का संरक्षण कर सकेंगे।
4. उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1919 (42आॅफ-18.09.1991) के तहत किसी धार्मिक उपासना स्थल के स्वरूप को बनाए रखने हेतु स्पष्ट निर्देश जिसका उल्लंघन धारा 6(3) के आधीन दंण्डीनीय अपराध है।
5. पुरातनस्थलों एवं पुरातन धरोहरों को सुरक्षित रखना सन् 1958 के अधिनियम की धारा 19 एवं 20 के तहत संविधान द्वारा सुरक्षित है। इसका भी उल्लंघन दण्डनीय अपराध है।
6. समुदाय द्वारा संचालित ट्रस्टों की सम्पत्ति को किराया नियंत्रण अधिनियम से भी मुक्त रखा जायेगा, जिससे मंदिर के मकान आदि को आसानी से खाली करवाया जा सकता है।
7. जैन मंदिरों, तीर्थ स्थलों, शैक्षणिक संस्थाओं इत्यादि के प्रबंध की जिम्मेदारी समुदाय के हाथ में होगी।
8. शैक्षणिक एवं अन्य संस्थाओं को स्थापित करने और उनके संचालन में सरकारी हस्तक्षेप कम हो जायेगा।
9. जैन धर्म की नैतिक शिक्षा पढ़ाई कराने का जैन स्कूलों को अधिकार मिल गया।
10. जैन काॅलेजों में जैन बच्चों के लिए 50प्रतिशत आरक्षित सीटें होंगी।
11. प्रतिभावान अल्पसंख्यक विद्यार्थी जिले के उत्कृष्ट विद्यालयों में प्रवेश पाते हैं तो उनमें गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले विद्यार्थियों को 9वीं, 10वीं, 12वीं का शिक्षण शुल्क एवं अन्य लिया जाने वाला शुल्क पूर्णतः माफ कर दिया जायेगा।
12. विश्वविद्यालया ंे द्वारा सचं ालित कोचिगं काॅलेजा ें म ें समुदाय के विद्यार्थिया ंे की फीस कम या माफ होने की पात्रता होगी।
13. सरकार द्वारा जैन समुदाय को स्कूल, काॅलेज, छात्रावास, शोध या प्रशिक्षण संस्थान खोलने हेतु सभी सुविधाएं एवं रियायती दर पर जमीन उपलब्ध करवायी जायेगी।
14. जैन समुदाय के विद्यार्थिया ंे को प्रशासनिक सेवाआ ें और व्यवसायिक पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण हेतु अनुदान मिल सकेगा।
15. व्यवसाय व तकनीकी शिक्षा आदि हेतु कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध होगा।
16. जैन समुदाय द्वारा संचालित जिन संस्थाओं पर कानून की आड़ में बहुसंख्यकों ने कब्जा जमा राखा है उनसे मुक्ति मिलेगी।
17. जैन धर्मावलम्बी को बहुसंख्यक समुदाय के द्वारा प्रताडि़त किए जाने की स्थिति में सरकार जैन धर्मावलम्बी की रक्षा करेगी।
18. जैन धर्मावलम्बी द्वारा पुण्यार्थ, प्राणी, सेवार्थ, शिक्षा इत्यादि हेतु दान धन कर से मुक्त होगा।
19. अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों के समुचित विकास एवं सुरक्षा के व्यापक प्रबधं शासन द्वारा किए जायेंगे।
20. अल्पसंख्यक वर्ग युवाओं में खेलकूद व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के प्रोत्साहन हेतु अनुदान एवं छात्रवृत्तियों के विशेष प्रावधानों का लाभ मिल सकेगा, जिससे गरीबी रेखा से नीचे आने वाले या आर्थिक स्थिति से कमजोर वर्ग का शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास हो सके।
21. अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कराये गये आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक स्थिति के सर्वेक्षण के आधार पर रोजगार मूलक योजनाओं का लाभ मिलेगा।
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